2025 का वर्ष Indian Economy के लिए एक बड़ी चुनौती लेकर आया है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है, और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को इसका सीधा झटका लगने वाला है। WTO की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में वैश्विक व्यापार वृद्धि दर घटकर मात्र 0.2% रह सकती है, जो पहले के अनुमान (2.7%) से काफी कम है.
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इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि:
- वैश्विक व्यापार में गिरावट के कारण
- भारत के निर्यात और आयात पर प्रभाव
- अमेरिका के टैरिफ पॉलिसी से भारत को खतरा
- भारत के लिए संभावित अवसर और रणनीति
1. वैश्विक व्यापार में मंदी: कारण और प्रभाव Indian Economy पर
(क) अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का असर Indian Economy पर
- अमेरिका ने चीन पर 125% टैरिफ लगाया है, जबकि भारत पर 26% टैरिफ की घोषणा की गई है.
- इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) प्रभावित हुई है, और भारत जैसे देशों को निर्यात में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
(ख) उत्तर अमेरिका और यूरोप में निर्यात में भारी गिरावट
- WTO के अनुसार, उत्तर अमेरिका से निर्यात 12.6% तक गिर सकता है.
- यूरोपीय देशों में भी आर्थिक मंदी के संकेत मिल रहे हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा।
(ग) सेवा क्षेत्र पर भी मार
- IT, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और ट्रैवल सेक्टर प्रभावित हुए हैं।
- 2025 में ग्लोबल सर्विस ट्रेड की वृद्धि दर घटकर 4% रहने का अनुमान है.
2.Indian Economy पर भारत के व्यापार पर क्या होगा असर?
(क) निर्यात में गिरावट
- अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है (कुल निर्यात का 18%).
- GTRI के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से भारत को $7.76 बिलियन (6.4%) का नुकसान हो सकता है.
- फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
(ख) आयात बिल बढ़ने का खतरा Indian Economy पर
- तेल और गोल्ड आयात में वृद्धि से व्यापार घाटा बढ़ सकता है.
- चीन से सस्ते माल का डंपिंग बढ़ने से भारतीय उद्योगों को नुकसान होगा.
(ग) रोजगार पर संकट
- निर्यात-आधारित उद्योगों (जैसे टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल) में नौकरियां कम हो सकती हैं.
- CMIE के अनुसार, बेरोजगारी दर 8.05% तक पहुँच सकती है.
3. भारत के लिए अवसर: क्या हो सकती है रणनीति?
(क) वैकल्पिक निर्यात बाजारों की तलाश
- EU, UK, रूस और ASEAN देशों के साथ व्यापार समझौतों को तेज करना.
- फार्मास्यूटिकल्स और IT सेवाओं को नए बाजारों में बढ़ावा देना (क्योंकि सेवाओं पर टैरिफ नहीं लगा है).
(ख) घरेलू उत्पादन बढ़ाना (आत्मनिर्भर भारत)
- PLI (Production Linked Incentive) योजना को और मजबूत करना.
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना.
(ग) टैरिफ वार में स्मार्ट नीतियाँ
- अमेरिका के साथ FTA (मुक्त व्यापार समझौता) करना.
- चीन के मुकाबले भारत को वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में पेश करना.
4.क्या भारत इस संकट से उबर पाएगा?
- अगर सही नीतियाँ बनाई जाती हैं, तो भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है।
- घरेलू मांग और डिजिटल इकोनॉमी (UPI, स्टार्टअप्स) मजबूती दे सकते हैं.
- लेकिन अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो GDP ग्रोथ 6% से नीचे जा सकती है.