हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने Sahara Group India और उसके निवेशकों से जुड़े एक बड़े मामले में कार्रवाई की है। ED ने महाराष्ट्र के लोनावाला में स्थित एमबी वैली सिटी के आसपास की 77 एकड़ जमीन को अस्थाई रूप से जब्त कर लिया है। इस जमीन की अनुमानित कीमत लगभग 1460 करोड़ रुपये बताई जा रही है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है।
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लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह पूरा मामला क्या है? Sahara Group एक बार फिर क्यों सुर्खियों में है? आइए, विस्तार से जानते हैं।
ED की कार्रवाई: क्या हुआ?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कोलकाता शाखा ने Sahara Group के खिलाफ जांच शुरू की थी। जांच में पता चला कि एमबी वैली सिटी की 77 एकड़ जमीन बेनामी नामों से खरीदी गई थी।
बेनामी संपत्ति क्या है?
- बेनामी संपत्ति वह होती है, जिसका असली मालिक कोई और होता है, लेकिन कागजात पर किसी दूसरे व्यक्ति का नाम दर्ज होता है।
- ED का दावा है कि इस जमीन को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया पैसा Sahara Group की विभिन्न कंपनियों से गलत तरीके से निकाला गया था।
- यह पैसा निवेशकों का था, जिसे धोखाधड़ी से जमीन खरीदने में लगाया गया।
जांच का आधार: कैसे शुरू हुआ मामला?
ED को यह जांच शुरू करने का आधार तीन राज्यों की पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर (FIR) से मिला।
किन राज्यों में दर्ज हुईं एफआईआर?
- ओडिशा पुलिस
- बिहार पुलिस
- राजस्थान पुलिस
इन एफआईआर में Sahara Group की एक कंपनी “हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (HICCSL)” और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश के आरोप लगाए गए थे।
देशभर में 500 से अधिक एफआईआर
- इसके बाद, Sahara Group और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ पूरे देश में 500 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं।
- इनमें से 300 से ज्यादा मामले PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत दर्ज किए गए।
निवेशकों को धोखा: क्या आरोप हैं?
ED की जांच में सामने आया कि Sahara Group ने निवेशकों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की।
मुख्य आरोप:
- निवेशकों की मर्जी के बिना पैसा दोबारा जमा करवाया गया।
- निवेश की अवधि पूरी होने पर पैसा वापस नहीं दिया गया।
- ऊंचे रिटर्न और मोटे कमीशन का झूठा लालच देकर पैसे जमा करवाए गए।
पूंजी स्कीम क्या है? Sahara Group कैसे चला रहा था धोखाधड़ी का खेल?
पूंजी स्कीम (कैपिटल स्कीम) क्या होती है?
- यह एक पोंजी स्कीम (Ponzi Scheme) की तरह होती है, जिसमें निवेशकों को ज्यादा मुनाफे का लालच दिया जाता है।
- पुराने निवेशकों को पैसा देने के लिए नए निवेशकों से पैसा लिया जाता है।
- जब नए निवेशक कम पड़ने लगते हैं, तो यह स्कीम टूट जाती है और ज्यादातर निवेशकों का पैसा डूब जाता है।
Sahara Group की कौन-कौन सी कंपनियां शामिल थीं?
ED की जांच में पता चला कि Sahara Group ने कई कंपनियों के जरिए यह स्कीम चलाई, जिनमें शामिल हैं:
- हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी (HICCSL)
- सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी
- सहारियन यूनिवर्सल मल्टीपर्पस सोसाइटी
- स्टार्ट मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटी
कैसे काम करती थी यह स्कीम?
- निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का वादा किया जाता था।
- एजेंटों को मोटा कमीशन दिया जाता था ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ सकें।
- निवेशकों का पैसा बिना किसी नियम-कायदे के इस्तेमाल किया जाता था।
- पैसे का एक बड़ा हिस्सा बेनामी संपत्तियां खरीदने, आलीशान जीवनशैली और निजी खर्चों में लगाया गया।
ED की पिछली कार्रवाइयां
- ED ने पहले भी Sahara Group के खिलाफ कार्रवाई की थी।
- 2.98 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी, जिसका कोई हिसाब नहीं था।
- कई निवेशकों, एजेंटों और कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए।
Sahara Group की मुश्किलें कम नहीं हो रही
Sahara Group पर लगातार मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और निवेशकों को ठगने के आरोप लगते रहे हैं। ED की यह नई कार्रवाई एक बार फिर Sahara Group को कानूनी उलझनों में डाल सकती है।
आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि Sahara Group के खिलाफ ED की यह कार्रवाई सही है? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं।