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Elon Musk की अगुवाई वाली Tesla अब चीन और ताइवान पर निर्भरता कम करते हुए भारत को अपने Semiconductor सप्लाई चेन का अगला बड़ा हब बनाने की तैयारी में है। हाल के महीनों में Tesla ने टाटा ग्रुप, माइक्रोन और मुरुगप्पा ग्रुप जैसी भारतीय Semiconductor कंपनियों के साथ बैठकें की हैं|

जो भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब (Semiconductor Hub) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह रणनीति न केवल टेस्ला के लिए फायदेमंद है, बल्कि भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और सेमीकंडक्टर मिशन को भी गति देगी।

भारत क्यों बन रहा है Tesla की Semiconductor रणनीति का केंद्र?

1. चीन से दूरी और सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन

Tesla अब तक अपनी शंघाई गीगाफैक्ट्री में मैच्योर नोड चिप्स (28nm से 65nm) के लिए चीन पर निर्भर थी। लेकिन जियोपॉलिटिकल तनाव और चीन द्वारा अमेरिकी Semiconductor उत्पादों पर 80% तक टैरिफ लगाने के बाद टेस्ला को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश जरूरी हो गई है। भारत इस मामले में एक आदर्श विकल्प बनकर उभरा है ।

2. भारत में बढ़ता Semiconductor Ecosystem

भारत सरकार ने हाल के वर्षों में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं:

  • टाटा ग्रुप और इजरायल की टॉवर सेमीकंडक्टर द्वारा 8 अरब डॉलर के निवेश वाला मेगा प्लांट
  • माइक्रोन का गुजरात में 22,516 करोड़ रुपये का चिप असेंबली प्लांट
  • क्वालकॉम जैसी कंपनियों का भारत में चिप निर्माण की योजना

3. लागत और गुणवत्ता का संतुलन

टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए 28nm से 65nm नोड वाली चिप्स बेहद महत्वपूर्ण हैं, खासकर बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए। भारत में इन चिप्स का उत्पादन न केवल लागत कम करेगा, बल्कि गुणवत्ता और डिलीवरी समय को भी अनुकूलित करेगा ।

Tesla के भारतीय पार्टनर्स: कौन बनेगा Semiconductor Hub का स्तंभ?

1. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स – टेस्ला का प्रमुख साझेदार

Tata Group पहले से ही टेस्ला के साथ एक स्ट्रैटेजिक डील साइन कर चुका है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स टेस्ला के ग्लोबल सप्लाई के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स का निर्माण करेगा। कंपनी ने भारत में दो बड़ी परियोजनाएं शुरू की हैं:

  • गुजरात के धुलेरा में ₹1000 करोड़ की लागत से सेमीकंडक्टर फैब यूनिट
  • असम के मोरेगांव में ₹27,000 करोड़ की लागत से OSAT (आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) सुविधा

2. माइक्रोन – गुजरात में असेंबली और टेस्टिंग हब

अमेरिकी मेमोरी चिप निर्माता माइक्रोन गुजरात के सनंद में ₹3000 करोड़ की लागत से एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्केटिंग और पैकेजिंग) प्लांट स्थापित कर रहा है। यह यूनिट न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक मांग को पूरा करने में सक्षम होगी ।

3. सीजीएमई – मुरुगप्पा ग्रुप और रेनसास का ज्वाइंट वेंचर

सीजी पावर, रेनसास और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के संयुक्त उद्यम सीजीएमई ने गुजरात के सांदन में ₹7600 करोड़ की लागत से एक OSAT सुविधा स्थापित करने की योजना बनाई है। यह यूनिट रेनसास को सेवाएं देने के साथ-साथ अन्य वैश्विक कंपनियों को भी सेवाएं प्रदान करेगी ।

भारत के Semiconductor Mission को कैसे मिलेगी गति?

1. सरकारी समर्थन और नीतिगत सुधार

भारत सरकार ने हाल ही में EV पॉलिसी में बदलाव किया है, जिसमें कुछ मॉडल्स पर इंपोर्ट ड्यूटी 100% से घटाकर 15% कर दी गई है। इससे टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए भारत में प्रवेश आसान हुआ है ।

2. वैश्विक निवेशकों का बढ़ता विश्वास

इजरायल की टॉवर सेमीकंडक्टर्स 8 अरब डॉलर का निवेश कर रही है, जबकि क्वालकॉम ने भी भारत में चिप निर्माण की योजना की घोषणा की है । ये निवेश भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

3. स्किल डेवलपमेंट और रोजगार सृजन

सेमीकंडक्टर उद्योग के विस्तार से हजारों उच्च कुशल नौकरियों का सृजन होगा और भारतीय इंजीनियरों को वैश्विक तकनीकों के साथ काम करने का अवसर मिलेगा।

चुनौतियां और भविष्य की राह

हालांकि भारत को अभी स्केल और इकोसिस्टम डेवलपमेंट के मोर्चे पर काम करना होगा, लेकिन टेस्ला जैसी ग्लोबल कंपनियों की भागीदारी भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। एलन मस्क ने हाल ही में घोषणा की है कि वह 2025 के अंत में भारत आएंगे और पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे । इस यात्रा से टेस्ला की भारत योजनाओं को और गति मिलने की उम्मीद है।

भारत की Semiconductor क्रांति का स्वर्णिम अवसर

एलन मस्क की टेस्ला द्वारा भारतीय सेमीकंडक्टर कंपनियों के साथ साझेदारी न केवल टेस्ला के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब (Semiconductor Hub) बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

सरकार के समर्थन, वैश्विक निवेश और घरेलू कंपनियों के प्रयासों से भारत जल्द ही सेमीकंडक्टर उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है। यह न केवल भारत की तकनीकी स्वावलंबन को बढ़ावा देगा, बल्कि देश को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और EV उद्योग में एक प्रमुख स्थान दिलाने में भी मदद करेगा।

By Admin

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