USAID अब रुकेगी फंडिंग, Donald Trump ने India को दिया झटका

USAID अब रुकेगी फंडिंग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। ट्रंप ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के लिए फंडिंग रोकने का ऐलान किया है।

यह फैसला भारत के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि USAID पिछले 70 सालों से भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस फैसले के बाद भारत में चल रहे कई प्रमुख प्रोजेक्ट्स पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर यह मामला क्या है और इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

USAID क्या है और भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

USAID (United States Agency for International Development) एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1961 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के विकासशील देशों को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी सहायता प्रदान करना है। USAID ने पिछले 70 सालों में 130 से अधिक देशों में अपने कार्यक्रम चलाए हैं और वैश्विक स्तर पर मानवीय सहायता का एक बड़ा स्रोत बनकर उभरा है।

भारत में USAID ने स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, कृषि और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पिछले कुछ सालों में USAID ने भारत को करीब 140 मिलियन डॉलर (लगभग 1,000 करोड़ रुपये) की फंडिंग प्रदान की है। यह राशि भारत के बजट के लिहाज से छोटी हो सकती है, लेकिन इसने कई प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

USAID ने भारत में क्या काम किए हैं?

USAID ने भारत में विभिन्न क्षेत्रों में कई प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट किया है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  1. स्वास्थ्य सेवाएं (Health Services):
    USAID ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं। इनमें एचआईवी/एड्स, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने के लिए फंडिंग और तकनीकी सहायता शामिल है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में USAID ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर 55 मिलियन डॉलर खर्च किए।
  2. पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन (Environment and Climate Change):
    जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए USAID ने भारत में कई पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट किया है। इनमें जल संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। 2023-24 में पर्यावरण प्रोजेक्ट्स पर 18 मिलियन डॉलर खर्च किए गए।
  3. सामाजिक बुनियादी ढांचा (Social Infrastructure):
    USAID ने शिक्षा, स्वच्छता और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में भी काम किया है। इन प्रोजेक्ट्स के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है। 2023-24 में सामाजिक बुनियादी ढांचे पर 60 मिलियन डॉलर खर्च किए गए।

ट्रंप ने USAID की फंडिंग क्यों रोकी?

डोनाल्ड ट्रंप ने USAID की फंडिंग रोकने का फैसला अमेरिकी विदेशी सहायता की समीक्षा के बाद लिया है। ट्रंप का मानना है कि USAID जैसी एजेंसियों पर अमेरिकी टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद हो रहा है। उन्होंने US AID को “कचरा पंथी वामपंथी पागलों का समूह” तक कहा है। इससे पहले जनवरी 2021 में भी ट्रंप ने US AID के सभी चल रहे प्रोजेक्ट्स को बंद करने का निर्देश दिया था।

ट्रंप के इस फैसले के पीछे उनकी “अमेरिका फर्स्ट” (America First) की नीति है। वे चाहते हैं कि अमेरिका का पैसा दूसरे देशों की बजाय अपने देश के विकास पर खर्च हो। हालांकि, इस फैसले से वैश्विक स्तर पर अमेरिका की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।

भारत पर क्या होगा असर?

USAID की फंडिंग रुकने से भारत में चल रहे कई प्रोजेक्ट्स पर संकट आ सकता है। इनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:

  1. स्वास्थ्य सेवाओं पर असर:
    US AID की फंडिंग के बिना एचआईवी/एड्स, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने के कार्यक्रम प्रभावित हो सकते हैं। इससे लाखों लोगों की जिंदगी पर असर पड़ सकता है।
  2. पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स पर असर:
    जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट्स भी धीमे पड़ सकते हैं। इससे भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों को नुकसान पहुंच सकता है।
  3. सामाजिक बुनियादी ढांचे पर असर:
    शिक्षा, स्वच्छता और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में भी निवेश कम हो सकता है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकास की गति धीमी हो सकती है।

क्या भारत इस संकट से निपट सकता है?

भारत ने पिछले कुछ सालों में आर्थिक और सामाजिक विकास के मामले में काफी प्रगति की है। हालांकि, US AID की फंडिंग रुकने से कुछ प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ सकता है, लेकिन भारत सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए पहले से ही कदम उठाए हैं। भारत ने अपने बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों के लिए अधिक धनराशि आवंटित की है। इसके अलावा, भारत अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों से भी सहयोग ले सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप का USAID की फंडिंग रोकने का फैसला भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, भारत ने पिछले कुछ सालों में अपनी आर्थिक और सामाजिक क्षमता को मजबूत किया है, जिससे वह इस संकट से निपट सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और कैसे वह US AID की फंडिंग के बिना भी अपने विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाती है।

इस मामले में आपकी क्या राय है? क्या ट्रंप का यह फैसला सही है या गलत? कमेंट में अपने विचार जरूर साझा करें।

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